लगभग 40 वर्ष तक विश्व्विद्यालय कालेज में अध्यापन किया। ग़ज़ल, एकांकी, हास्यव्यंग्य, समीक्षा, कविता, कहानी, ललित निबंध आदि विधाओं में 150 से अधिक पुस्तकों का प्रकाशन हुआ है। मुख्य पुस्तकें : सन्नाटे में गूँज, भीतर शोर बहुत है, मौसम बदल गया कितना, रोशनी बनकर जिओ, शिकायत न करो तुम (ग़ज़लें), बाबू झोलानाथ, राजनीति में गिरगिटवाद, मेरे इक्यावन व्यंग्य, समय एक नाटक (ललित निबंध), बच्चों के शिक्षाप्रद नाटक, दंगे: क्यों और कैसे, विश्व आतंकवाद : क्यों और कैसे, आओ अतीत में चलें, मानवाधिकार : दशा और दिशा, ग्यारह नुक्कड़ नाटक, नारी : कल और आज, पर्यावरण : दशा और दिशा, हिंसा : कैसा-कैसी, मंचीय व्यंग्य एकांकी, अक्षर हूँ मैं (काव्य), मेरी हास्य-व्यंग्य कविताएँ, देश और विदेश के अनेक विश्वविद्यालयों में मेरे साहित्य पर 15 से अधिक छात्रों को पीएचडी की उपाधि प्राप्त हो चुकी है.अनेक सम्मान और पुरस्कारों में मुख्य हैं : उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का सूर पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का साहित्य भूषण 2008, केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का एक लाख रुपए का 'शिक्षा' पुरस्कार 2008, 'शोध दिशा' त्रैमासिक के प्रधान सम्पादक, देश और विदेश के विश्वविद्यालयों में हिन्दी विषय में सम्पन्न शोध कार्यों की वर्गीकृत विवरणिकाएं पाँच खंडों में 'शोध सन्दर्भ' के नाम से प्रकाशित।